Property Registry New Rules: अब 10 दिन की देरी पर रजिस्ट्री होगी फेल, लाखों का नुकसान

Published On: August 13, 2025
Property Registry New Rules

भूमि खरीदना और उसकी रजिस्ट्री करवाना भारतीय आम नागरिक के जीवन में एक बड़ा फैसला होता है। बहुत से लोग अपनी बचत से जमीन खरीदते हैं और भविष्य के लिए निवेश करते हैं। सरकार द्वारा जमीन की रजिस्ट्री के नियमों में समय-समय पर बदलाव किए जाते हैं ताकि आम जनता को ज्यादा पारदर्शिता और सुरक्षा मिल सके।

हाल ही में सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री से जुड़े कुछ नए नियम लागू किए हैं, जिनके बारे में जानना हर ज़मीन खरीदने वाले के लिए बेहद जरूरी है। ये नए नियम न केवल खरीदार बल्कि विक्रेता दोनों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को ध्यान में रखते हैं। अब तक जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद उसमें बदलाव या कैंसिलेशन का प्रोसेस काफी कठिन और लंबा होता था।

कई मामलों में गलत जानकारी या धोखाधड़ी होने पर भी आम नागरिक को रजिस्ट्री कैंसिल करवाने में समस्या होती थी। लेकिन जिस तरह सरकारी अमले और डिजिटल प्रक्रिया को बढ़ावा मिला है, उसी तरह सरकार ने संपत्ति रजिस्ट्री में भी बड़े बदलाव किए हैं। अब जमीन रजिस्ट्री से जुड़ी प्रक्रिया ज्यादा सरल, पारदर्शी और सुरक्षित बन गई है।

Property Registry: New Rules Update

सरकार ने नई व्यवस्था के तहत ऐसा प्रावधान किया है जिससे यदि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी या गलत दस्तावेज के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री कराई जाती है, तो अब उस रजिस्ट्री को रद्द (कैंसिल) किया जा सकता है। इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य फर्जीवाड़े को रोकना, अवैध कब्जे खत्म करना और खरीदार तथा विक्रेता दोनों को न्याय दिलाना है। पहले फर्जी रजिस्ट्री या त्रुटिपूर्ण दस्तावेज के मामले में पीड़ित व्यक्ति को लंबे समय तक कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ते थे, अब प्रशासनिक स्तर पर ही राहत दी जा सकती है।

इन नए नियमों के तहत नियत प्रक्रिया पूरी होने पर, यदि यह प्रमाणित होता है कि भूमि की रजिस्ट्री फर्जी, धोखाधड़ी से या बिना सभी कानूनी शर्तों के पूरी किए की गई थी, तो रजिस्ट्री ऑफिसर या संबंधित अधिकारी उस रजिस्ट्री को निरस्त (कैंसिल) कर सकता है। इससे झूठे दस्तावेज या किसी के नाम पर गलत तरीके से की गई रजिस्ट्री को रोकना आसान हो गया है। साथ ही, अवैध रूप से हुई रजिस्ट्री से संबंधित विवादों का निपटारा भी जल्दी संभव होगा।

सरकार ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल बनाने पर भी बल दिया है, जिससे कागजी कार्रवाई में पारदर्शिता और नियंत्रण बढ़ा है। अब सभी दस्तावेजों की ऑनलाइन वेरिफिकेशन, आधार और पैन कार्ड जैसी पहचान-पत्र की जांच के बाद ही रजिस्ट्री की जाएगी। इससे किसी भी तरह की दोहरी या फर्जी रजिस्ट्री को रोका जा सकेगा। अगर कोई व्यक्ति या समूह नियमों का उल्लंघन करता है, तो उन पर कानूनी कार्रवाई भी तय की गई है।

नियमों के अनुसार जमीन रजिस्ट्री निरस्त करने की प्रक्रिया

अगर किसी को लगता है कि उसकी जमीन की रजिस्ट्री गलत तरीके से या फर्जी दस्तावेज के जरिये की गई है, तो वह जिला कलेक्टर या रजिस्ट्री कार्यालय में लिखित शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके बाद जांच अधिकारी सभी दस्तावेजों का परीक्षण करेंगे। जांच पूरी होने पर यदि शिकायत सही पाई जाती है, तो संबंधित भूमि की रजिस्ट्री स्वतः रद्द (कैंसिल) कर दी जाएगी।

रजिस्ट्री निरस्त करते समय अधिकारियों को यह भी जांचना होता है कि शिकायत में दी गई जानकारी विश्वसनीय है या नहीं। साथ ही, सभी संबंधित पक्षों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। यह सारी प्रक्रिया निर्धारित समयसीमा में पूरी की जाती है ताकि शिकायतकर्ता और सम्बंधित पक्षों को जल्दी राहत मिले।

कौन सा सरकारी उद्यम या योजना लागू कर रहा है ये प्रावधान

यह नया नियम राज्य सरकारों और केंद्रीय राजस्व विभाग द्वारा विभिन्न राज्यों में लागू किया जा रहा है। कुछ राज्य सरकारों ने अपने राजस्व विभाग की अधिसूचना के जरिये इसे लागू किया है, तो वहीं कुछ केंद्र द्वारा निर्देशित डिजिटल पब्लिक प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका उद्देश्य पूरे देश में संपत्ति के लेन-देन को सुरक्षित, पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त करना है।

इस योजना के तहत, जमीन खरीद-बिक्री की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया गया है। चाहे दस्तावेजों का वेरिफिकेशन हो, भुगतान की स्थिति या जमीन की ऑनलाइन जांच—हर चीज पहले की तुलना में कहीं अधिक आसान और जल्दी संभव हो गई है। इससे राज्य सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी हो रही है और नागरिकों को भी पारदर्शी व्यवस्था मिल रही है।

क्या फायदा है इन नए नियमों से?

इन नियमों के बाद जमीन की रजिस्ट्री से जुड़े फर्जीवाड़े को रोका जा सकेगा और हर आम नागरिक को जमीन खरीद-बिक्री में भरोसा मिलेगा। अगर किसी के साथ धोखा हुआ है तो अब वह जल्द अपनी शिकायत उठा सकता है और उसे न्याय मिल सकता है। अधिकारियों पर भी जवाबदेही बढ़ी है और अनियमितताओं को रोक पाना संभव हुआ है।

निष्कर्ष

जमीन की रजिस्ट्री के नए नियम आम नागरिक के हित में बनाए गए हैं क्योंकि इनसे पारदर्शी और सुरक्षित व्यवस्था तैयार हुई है। अब हर व्यक्ति निश्चिंत होकर जमीन की रजिस्ट्री करा सकता है और किसी भी समस्या की स्थिति में तुरंत शिकायत भी दर्ज करा सकता है। इससे देश में संपत्ति से जुड़े विवाद कम होंगे और लोगों का विश्वास इस प्रणाली पर और मजबूत होगा।

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