हरियाणा राज्य में टोल प्लाजा को लेकर ग्रामीण इलाकों में इन दिनों बड़ा आंदोलन चल रहा है। खासकर रोहतक जिले के चांदी गांव के आस-पास के लोग कई दिनों से टोल टैक्स हटाने की मांग को लेकर एकजुट हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके अधिकारों का हनन हो रहा है और सरकार की ओर से बनाये गए नियमों की अनदेखी करते हुए टोल वसूली की जा रही है।
हर रोज़ टोल प्लाजा पर तनाव और विरोध प्रदर्शन की खबरें सामने आ रही हैं, जिसमें स्थानीय किसान संगठन और सरपंच बढ़-चढ़कर भूमिका निभा रहे हैं। वैसे तो पूरे प्रदेश में कई टोल प्लाजा हैं, लेकिन सबसे ज्यादा विरोध उन जगहों पर है, जहां एक टोल से दूसरे टोल की दूरी 60 किलोमीटर से भी कम रखी गई है। इसके अलावा सरकारी नियम के अनुसार टोल प्लाजा के 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों के लोगों से टैक्स नहीं लिया जाना चाहिए।
लेकिन, हकीकत में इन गांवों के लोगों से बार-बार टोल लिया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों में गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है।
What is Haryana Toll Free Village List?
सरकार की राष्ट्रीय राजमार्ग नीति के मुताबिक, जब किसी जगह पर टोल प्लाजा बनाया जाता है, तो उसके 20 किलोमीटर के अंदर जितने भी गांव आते हैं, उन गांवों के लोगों को टोल टैक्स से छूट मिलनी चाहिए। विशेषकर वहां के स्थानीय निवासियों – किसान, दुकानदार और दैनिक आने-जाने वालों को ये राहत दी जाती है। इसका उद्देश्य यही है कि स्थानीय लोग बिना अतिरिक्त बोझ के अपने क्षेत्र में आवागमन कर सकें।
हाल ही में चांदी गांव टोल प्लाजा (रोहतक-जींद रोड) पर 17 गांवों – इंद्रगढ़, चांदी, लाखन माजरा, चिड़ी, नांदल, बैंसी, खरक जाटान, गूगाहेड़ी, खरैंटी, घरौंठी, टिटोली, सिरौली, सुंदरपुर, भगवतीपुर, गिरावड़, समर गोपालपुर, निंडाना – के ग्रामीणों ने एकजुट होकर टोल बैरियर हटा दिए और वाहनों का टोल फ्री मांग लिया। ग्रामीणों का कहना था कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक वे टोल देने का विरोध जारी रखेंगे।
ग्रामीण लगातार आंदोलन व प्रशासन को ज्ञापन देने के बावजूद अधिकारियों द्वारा समाधान न निकालने से परेशान हैं। उनका मुख्य तर्क ये है कि टोल के दायरे में आने वाले गांवों में सरकार द्वारा मासिक पास की सुविधा, फ्री एंट्री या टैक्स माफी की व्यवस्था लागू क्यों नहीं की जा रही है। ग्रामीणों ने यह भी उठाया कि गाँव के रास्ते में टोल पड़ना खेती-बाड़ी और अन्य जरूरी कामों में बाधा बन रहा है।
सरकार क्या सुविधा देती है और नियम क्या हैं?
टोल प्लाजा से 20 किमी के दायरे में आने वाले गांवों के स्थायी निवासियों को मासिक पास की सुविधा दी जाती है। इसके लिए संबंधित टोल पर कैंप लगाए जाते हैं, जहां निवास प्रमाण-पत्र, आधार कार्ड और वाहन की आरसी दिखाकर मासिक पास बनवाया जा सकता है। इससे लोग कितनी भी बार, जब चाहें टोल पार कर सकते हैं, वो भी बिना टोल टैक्स दिये। इसका लाभ मुख्य रूप से स्थानीय लोगों को मिलता है ताकि उनके रोजमर्रा के काम में किसी प्रकार की बाधा न आए।
गांव वालों की मुख्य शिकायत यह है कि प्रशासनिक लापरवाही या निजी कंपनियों की मनमानी के कारण उन्हें ये मासिक पास या छूट नहीं मिल रही। कई जगहों पर तो निर्माण कंपनी संपूर्ण फ्री एंट्री न देकर केवल सांसद, विधायक या सरकारी अधिकारी के दबाव में ही पास जारी करती है। इसके अलावा, कुछ जगहों पर जैसे गुरुग्राम के घमरोज टोल प्लाजा और सोहना के आस-पास भी 25 गांवों को तौर पर टोल फ्री सुविधा दी गई है, लेकिन सभी गांवों तक ये राहत नहीं पहुंच पाई है।
मांग कैसे पूरी हो सकती है : आवेदन या प्रक्रिया
अगर कोई गांव टोल फ्री करवाना चाहता है, तो सरपंच एवं गांव के लोग मिलकर एसडीएम/डीसी को ज्ञापन दे सकते हैं। कई बार कमेटी बनाकर, टोल प्लाजा पर शांतिपूर्वक धरना देकर भी अपनी मांग पूरी करा सकते हैं। जरूरी होने पर प्रशासन के पास लिखित शिकायत आॅनलाइन भी दर्ज कराई जा सकती है। ग्रामीणों के हक़ की रक्षा के लिए किसान संगठन व पंचायत मिलकर आंदोलन के ज़रिए अपनी आवाज़ उठा रहे हैं।
निष्कर्ष
हरियाणा के गांवों का टोल फ्री होना केवल एक मांग नहीं, बल्कि उनके अधिकार और सरकारी नियमों की व्यावहारिकता से जुड़ा मुद्दा है। सरकार को चाहिये कि वह नियमों का कड़ाई से पालन करवाए और स्थानीय लोगों को टोल टैक्स की छूट सुलभ हो, जिससे किसानों और आम ग्रामीणों पर अतिरिक्त बोझ ना पड़े। ग्रामीणों के मिल-जुलकर सामूहिक प्रयास से इस मांग को अब अधिक दृढ़ता से उठाया जा रहा है, उम्मीद की जा रही है कि उनकी मांग जरूर मानी जाएगी।