डिजिटल पेमेंट आज हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। खासकर Google Pay, PhonePe, Paytm जैसी यूपीआई पर आधारित ऐप्स ने पैसे भेजना, मंगाना और बिल भरना बेहद आसान कर दिया है। मगर, जैसे-जैसे यूपीआई का दायरा और ट्रांजैक्शन की संख्या बढ़ी, सिस्टम पर दबाव भी काफी बढ़ गया।
पिछले साल जून में ही 18.4 अरब यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी कुल वैल्यू 24 लाख करोड़ रुपए से भी ज़्यादा थी। इस बढ़ते दबाव से निपटने और फ्रॉड के रिस्क को कम करने के लिए सरकार और NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) ने अगस्त 2025 से कई नए नियम लागू किए हैं। इन नियमों का मकसद सिर्फ सिस्टम को तेज़ बनाना नहीं है, बल्कि यूज़र सेफ्टी बढ़ाना, बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का बेहतर इस्तेमाल करना और ट्रांजैक्शन में पारदर्शिता लाना भी है।
इन बदलावों का असर हर एक यूपीआई यूज़र और बिज़नेस पर पड़ेगा—चाहे आप GPay, PhonePe, Paytm का इस्तेमाल करते हों या कोई और ऐप।
New August UPI Rules Update:
1. बैलेंस चेक करना हुआ लिमिटेड
अब से आप हर यूपीआई ऐप पर दिन में सिर्फ 50 बार ही अपना बैंक बैलेंस चेक कर सकते हैं। इसका मतलब अगर आपने एक ऐप पर 50 बार अपना बैलेंस देख लिया, तो अगले 24 घंटे तक उस ऐप में बैलेंस चेक नहीं कर पाएंगे। ये लिमिट सिर्फ मैन्युअल रिक्वेस्ट पर लागू होगी, यानी ऐप बैकग्राउंड में ऑटो-बैलेंस चेक नहीं कर सकेगा।
2. बैंक अकाउंट लिस्टिंग पर लिमिट
अगर आप बैंक लिस्ट खाते बार-बार ओपन करते हैं, तो अब एक ऐप पर दिन में 25 बार ही सभी लिंक बैंक खाते देख सकते हैं। इससे बैंकिंग सर्वर पर अनावश्यक लोड कम होगा।
3. ऑटोपे के समय और प्रयास पर लिमिट
यूपीआई ऑटोपे (जैसे कि बिजली-बिल, ओटीटी सब्सक्रिप्शन, लोन EMI) की ट्रांजैक्शंस अब सिर्फ नॉन-पीक घंटों में ही होंगी। अगर कोई ऑटोपे फेल हो गया, तो अधिकतम 3 बार ही रीट्राई किया जाएगा (कुल मिलाकर 4 कोशिशें)। यह बदलाव सर्वर लोड को मैनेज करने और ट्रांजैक्शन फेल्योर रोकने के लिए लाया गया है।
4. इनएक्टिव UPI ID होगी डीएक्टिवेट
अगर आपके मोबाइल नंबर से लिंक्ड कोई UPI ID लगातार 12 महीने से इस्तेमाल नहीं हुई है, तो वह अपने-आप बंद कर दी जाएगी। ऐसा फ्रॉड और मिसयूज़ रोकने के लिए किया गया है।
5. नए बैंक अकाउंट वेरिफिकेशन स्ट्रिक्ट
अब यूपीआई ऐप में नया बैंक अकाउंट जोड़ने पर और स्ट्रॉन्ग वेरिफिकेशन, ऑथेंटिकेशन और वैलिडेशन की जाएगी। इससे फर्जी या किसी और के अकाउंट को ऐड करना मुश्किल होगा।
6. हर ट्रांजैक्शन के बाद बैलेंस दिखेगा
अब से, जब भी आप यूपीआई पेमेंट करेंगे, ट्रांजैक्शन कन्फॉर्मेशन मैसेज में ही आपके खाते का बैलेंस दिख जाएगा। इससे आपको बार-बार बैलेंस चेक करने की ज़रूरत नहीं रहेगी।
7. यूपीआई पर क्रेडिट लाइन भी उपलब्ध
31 अगस्त 2025 से, बैंक और NBFC की तरफ से दी गई क्रेडिट लाइन को भी यूपीआई से लिंक किया जा सकेगा। यानी पेमेंट या कैश निकालते वक्त, बैंक द्वारा पहले से स्वीकृत क्रेडिट लाइन का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा—मगर इसपर अलग लिमिट और नियम होंगे।
8. पीयर-टू-पीयर (P2P) कलेक्ट फीचर हटेगा
1 अक्टूबर 2025 से, यूपीआई P2P Collect फीचर (जिससे कोई दूसरे व्यक्ति से पैसे रिक्वेस्ट कर सकता था) सभी ऐप्स से हटा दिया जाएगा। यह खास कदम फ्रॉड की घटनाएँ कम करने के लिए उठाया गया है, ताकि कोई व्यक्ति दूसरे को बार-बार फर्जी रिक्वेस्ट न भेज सके।
ये नियम किस स्कीम/सरकारी आदेश के तहत आए हैं?
यूपीआई के ये नए नियम NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) ने नोटिफिकेशन और सर्कुलर के ज़रिए लागू किए हैं। NPCI ही इंडिया में यूपीआई के रेग्युलेशन और टेक्निकल मानकों को सेट करता है। सरकार डिजिटल फाइनेंस को बढ़ावा देने के लिए लगातार यूपीआई को और सुरक्षित और यूज़र-फ्रेंडली बना रही है। इसी कड़ी में, NPCI ने बैंकों, पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PSP) और ऐप कंपनियों को जुलाई 2025 तक इन निर्देशों को अनिवार्य रूप से लागू करने के आदेश दिए थे।
इतना ही नहीं, छोटे व्यापारियों और दुकानदारों के यूपीआई इस्तेमाल को प्रमोट करने के लिए सरकार ने एक इनसेंटिव स्कीम भी चलाई है, जिसके तहत 2,000 रुपए तक के यूपीआई पेमेंट पर 0.15% तक इंसेंटिव भी मिलता है।
इन बदलावों का असर आम यूज़र पर
इन नियमों से हर आम यूज़र को अपनी पेमेंट हैबिट्स थोड़ा बदलनी होंगी। अब बेवजह बार-बार बैलेंस देखने या अकाउंट डिटेल्स रिफ्रेश करने की आदत को छोड़ना सही रहेगा। ऑटोपे के वक्त बिल कटने की टाइमिंग भी बदलेगी। अगर आपका यूपीआई अकाउंट साल भर निष्क्रिय रहा है, तो उसे दोबारा एक्टिवेट करने की ज़रूरत पड़ेगी। व्यापारी वर्ग को भी नई व्यवस्था समझनी और उसके हिसाब से अपने यूपीआई सेटअप अपडेट करने की जरूरत है।
कैसे करें नए नियमों के साथ खुद को अपडेट?
- ऐप्स में लिमिटेड बैलेंस चेक और अकाउंट व्यू का ध्यान रखें।
- ऑटोपे के लिए निर्धारित समय देखकर ही सेटिंग करें।
- अगर UPI ID या अकाउंट बहुत समय से निष्क्रिय है, तो उसे एक्टिव रखें या आवश्यकतानुसार बदल लें।
- नया बैंक अकाउंट लिंक करने के वक़्त कड़ी वेरिफिकेशन के लिए ज़रूरी डिटेल्स तैयार रखें।
- यूपीआई क्रेडिट लाइन की जानकारी अपनी बैंक या NBFC से लें।
- बेवजह किसी से कलेक्ट रिक्वेस्ट भेजने या रिसीव करने से बचें।
निष्कर्ष
अगस्त 2025 से लागू ये नए यूपीआई नियम यूज़र्स के लिए थोड़े असुविधाजनक जरूर लग सकते हैं, मगर लंबे समय में ये आपके डेटा, पैसे और डिजिटल ट्रांजैक्शन को और ज़्यादा सुरक्षित और तेज़ बनाएंगे। डिजिटल इंडिया की दिशा में यह एक और अहम कदम है, जिससे हर कोई स्मार्ट, सुरक्षित और सस्टेनेबल पेमेंट एक्सपीरियंस पा सकेगा।